स्वर्णकार महिला मंडल ने अजमीढ जयंती पर निकाली शोभायात्रा नवीन पदाधिकारियों का किया गया स्वागत

rakeshpotdda


अमीत शर्मा। झाबुआ अभीतक
राकेश पोद्दार जिला प्रतिनिधि।

झाबुआ अभीतक। 

झाबुआ । शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्री मैढ स्वर्णकार समाज महिला मंडल द्वारा स्वर्णकार समाज के पितृ पुरूष भगवान अजमीढ की जन्म जयंती के अवसर पर नगर में भगवान अजमीढ की भव्य शोभायात्रा आयोजित की गई । अखिल भारतीय खजवानिया स्वर्णकार समाज की अध्यक्षा श्रीमती कुंता सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्री अजमीढ के जन्मोत्सव पर राधाकृष्ण मार्ग स्थित समाज के श्री सत्यनारायण मंदिर पर सायंकाल 5 बजे से महिलाओं द्वारा भजन कीर्तन का आयोजन किया गया । तत्पश्चात सायंकाल 6 बजे से मंदिर से भगवान अजमीढजी के चित्र को  रथ में बिराजित करके बेंड बाजों के साथ महिला मंडल की सभी सदस्याओं द्वारा लाल चुनरी की एक जेैसी ड्रेस कोड में विशाल चल समारोह निकाला जो राधाकृष्ण मार्ग, रूनवाल बाजार, चन्द्रशेखर आजाद मार्ग, आजाद चैक, गोवर्धननाथ मंदिर चैराहा, राजवाडा  होकर   समाज के मंदिर पर समापन हुआ। बेंड बाजों पर धार्मिक भजनों एवं गीतों से पूरा वातावरण धर्ममय हो गया । महिलाओं द्वारा बेंड बाजो की संगीत की स्वर लहरियों के साथ जगह जगह गरबा रास, घुमर आदि नृत्य प्रस्तुत किये गये । चल समारोह श्री सत्यनारायण मंदिर पर पहूंचा जहां महिला मंण्डल की अध्यक्षा श्रीमती मीना मुकेश सोनी, चंचला, लक्ष्मीकांत सोनी, लाली प्रदीप सोनी आदि द्वारा भगवान अजमीढ की आरती उतारी गई तथा प्रसादी का वितरण किया । चल समारोह में स्वर्णकार समाज के सदस्यगण भी शामील हुए ।
तत्पश्चात पैलेस गार्डन में स्वर्णकार महिला मंडल  के द्वारा नवीन पदाधिकारियों के स्वागत का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें श्रीमती चंचला सोनी प्रदेश संगठन मंत्री, श्रीमती मीना सोनी महिला मंडल जिलाध्यक्ष, विमला सोनी नगर अध्यक्ष, श्रीमती कृष्णा सोनी, श्रीमती राधा सोनी, श्रीमती रूकमणी सोनी, श्रीमती पमीता सोनी, श्रीमती राजकुमारी सोनी एवं लक्ष्मी पुष्पकरण सोनी का पुष्पमालाऐं पहिनाकर तथा शाल ओढा कर स्वागत किया गया । इस अवसर पर समाज का सहभोज भी आयोजित किया । जिला अध्यक्षा श्रीमती मीना सोनी ने समाज की सभी महिलाओं का कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया । रात्री में समाज के मंदिर पर मध्यरात्री में समाज द्वारा 51 किलो दुध की खीर की प्रसादी का नैवेद्य भगवान को  अर्पित कर समाज द्वारा प्रसादी का वितरण किया गया ।



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