दिगंबर जैन समाज के पर्यूष्ण पर्व की हुई शुरूआत,धर्म एवं आध्यात्म की दस दिनों तक बहेगी गंगा उपासना एवं तप का चलेगा दौर

JHABUA ABHITAK


अमित शर्मा
झाबुआ । स्थानीय शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में उत्तम क्षमा धर्म के साथ ही पर्वाधिराज पर्यूषण उपर्व की शुरूवात हुई । भादौ माह के शुक्ल पंचमी से लेकर अनन्त चतुर्दशी तक समाज द्वारा पर्यूषण पर्व श्रद्धा भक्ति एवं उपसना के साथ मनाया जावेगा । इसी कडी में प्रातःकाल भगवान का अभिषेक एवं वृहद शांतिधारा अनुष्ठान के साथ शुरूवात हुई । समाज के आशीष डोसी ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्रह्चारिणी चन्द्रकला दीदी एवं जयपुर से पधारे बाबुलाल सेठी के सानिध्य में उमास्वामी द्वारा रचित तत्वार्थ सूत्र का वाचन हिन्दी मे अर्थ सहित चन्द्रकला दीदी के श्रीमुख से हुआ समाज के सभी लोगों द्वारा सामूहिक पूजन का आरयोजन किया गया । रात्रि 8 बजे से जिनेन्द्र प्रभू की बडी भक्ति भाव से महामंगल आरती की गई तत्पश्चात दीदी चन्द्रकला एवं श्री सेठी द्वारा शास्त्र स्वाध्याय किया गया जिसमें बताया गया कि धर्म के दस लक्षण होते है प्रथम उत्तम क्षमा है अपने अन्तर्निहित क्रोध को नियंत्रित कर समता धारण करना ही क्षमा भाव है । उन्होने आगे बताया कि का्रेध का संबध सीधे ही रक्त कणिकाओं से होता है । जिस प्राणी के रक्त में लाल रूधिर कणिकाओं का ज्यादा होना पाया गया है वह प्राणी स्वभाव से का्रेधी होता है तथा जिस प्राणी के रक्त में श्वेत रक्त कणिका अधिक होती है वह प्राणी समता भाव तथा उदारता से परिपूर्ण होता है । उनहोने बताया कि मोक्षगामी जीव का रक्त पूर्णतः श्वेत ही होता है एवं उसमे का्रेध किंचित मात्र नही होता है।
पर्यूषण पर्व आत्म शुद्धि के साथ ही तपस्या के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से जोडने का पर्व होता है । स्वयं भगवान महावीर ने सत्य,धर्म,शांति,प्रेम,अपरिग्रह, अचैर्य, एवं अहिंसा के सिद्धांत आज के भौेतिकवादी युग मे भी सामयिक है और यदि इन सिद्धांतों पर चला जावे तो पूरा विश्व शांति का टापू बन सकता है ।

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