कलेक्टर और ज़िप सीइओ का केशलेश प्रशिक्षण रंग लाया, चायनीज़ व्यंजन का ठेला व्यापारी ले रहा पेंटिएम से पेमेंट

JHABUA ABHITAK
अमित शर्मा 
अब अंचल में भी केश लेस की ओरकदम बढने लगे है। नोटबंदी के चलते जब व्यापार पर प्रभाव पड रहा था, तब छोटो तबके के व्यवसायी भी मोदीजी के सपने को साकार करने में पिछे कदम नही हटाए और चल पडे डिजीटल क्रांति की और....।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजीटल इंडिया की सोच अब आदिवासी अंचल झाबुआ में भी मुर्त रूप लेने लगा है। झाबुआ जैसे आदिवासी अंचल में प्रधानमंत्री की डिजीटल भूगतान या केशलैस पाॅलिसी को बडा ही कठिन माना जा रहा है।इसके पिछे कई तर्क है जिसमें सबसे प्रथम है साक्षरता का प्रतिशत कम होना।
लेकिन जिला कलेक्टर आशीष सक्सेना और जिला पंचायत सीईओ अनुराग चैधरी ने लगातार कैशलैस प्रशिक्षण रंग लाया और चाईनिज फुट ठेला लगाने वाले अमित सोनी ने नोटबंदी के चलते चौपट हुए व्यापार को फिर से बढाने के लिए डीजीटल भूगतान के माध्यम से व्यापार प्रारंभ करते हुए पेटीएम का सहारा लिया। अमित को उम्मीद नही थी कि उसे इसका लाभ मिलेगा। लेकिन अमित का पेटीएम से भुगतान किया जाता है बोर्ड लगाते ही पेटीएम के माध्यम से 2 से 3 भूगतान हुए। धीरे धीरे पेटीएम का चलन उसके ठेले पर इतना बढ गया की अब उसका अधिकतर लेनदेन पेटीएम के माध्यम से होता है।
पहले नही आता था अब सिख गए
अमित सोनी के छोटे से ठेले पर चाईनिज फुड की दुकान लगाता है, उसका दुर-दुर तक इंटरनेट और एन्ड्राइड मोबाईल से नाता नही था लेकिन व्यापार में आई कमी ने उन्हे डिजीटल और कैशलेस भूगतान की ओर आकर्षित किया। शुरूआत में पेटीएम से भूगतान करने में उसे काफी परेशानी हुई लेकिन धीरे धीरे वे कैशलैस संबंधित सारी प्रक्रिया सिख गए।
झाबुआ जेसे आदिवासी बाहुल्य जिले में अमित सोनी की यह पहल एक उदाहरण बन रही है। छोटे छोटे व्यापारी भी अब डिजीटल भूगतान की ओर आकर्षित होने लगे है।

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