आत्म उद्धार संयम यात्रा का हुआ झाबुआ आगमन,12 मुमुक्षु दीक्षार्थियों की आगवानी करने उमड़ा सकल श्वेतांबर जैन समाज

JHABUA ABHITAK

अमित शर्मा
झाबुआ। त्रि-स्तुतिक संघ के इतिहास में प्रथम बार परम् पूज्य दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा की पाट परंपरा में पपू राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद् विजय जयंत सेन सूरीष्वरजी मसा के पावन सानिध्य में 19 फरवरी को गुजरात के थीरपुर (थराद) नगर में 24 से अधिक मुमुक्षु एक साथ संयम पथ यात्रा की ओर अग्रसर होंगे। पूरे मालवा में उक्त आत्म उद्धार यात्रा के माध्यम से मुमुक्षुओं का आगमन, स्वागत, अभिनंदन एवं बहुमान विभिन्न श्री संघों द्वारा किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र नवयुवक परिषद् के महामंत्री निखिल भंडारी ने बताया कि इसी क्रम में शनिवार शाम 4 बजे 12 मुमुक्षु दीक्षार्थी संयमभाई सेठ, हर्षिलभाई डोषी, ऋषभभाई अड़ानी एवं ऋतिकभाई अडानी, जैनिजभाई व्होरा, कुलदीपभाई गोस्वामी, प्रदीपभाई बाफना, पूजाबेन अड़ानी, केनवीबेन व्होरा, मानसीबेन, डिम्पलबेन मेहता एवं दीपाबेन वरखारिया शहर में पधारे। जिनकी पल-पावड़े बिछाकर सकल जैन श्वेतांबर श्री संघ ने आगवानी की। 
राजवाड़ा चौक से निकाली गई शोभायात्रा
शहर के ह्रदय स्थल राजवाड़ा चौक पर श्री संघ के पदाधिकारियों द्वारा दीक्षार्थियों का माला पहनाकर अभिनंदन किया गया। पश्चात् यहां से लक्ष्मीबाई मार्ग होते हुए शोभायात्रा के रूप में सैकड़ों समाजजनों के साथ सभी मुमुक्षुगण विष्व पूज्य गुरूदेव श्री राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा द्वार प्रतिष्ठित श्री ऋषभदेव बावन जिनालय पहुंचे। अति प्राचीन बावन जिनालय में प्रवेष करने के बाद मुमुक्षुओं द्वारा सर्वप्रथम भगवान श्री ऋषभदेवजी एवं दादा गुरूदेवजी के दर्षन-वंदन किए एवं दर्षन-वंदन कर मुमुक्षु भाई-बहनों से तीर्थ में दर्षन करने के अपने-आपको काफी सौभाग्यशाली बताया। बाद संयम मार्ग पर अग्रसर होने जा रहे दीक्षार्थी भाई-बहनों को भोजन करवाने के लिए समाजजनों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई दीक्षार्थियों को भोजन करवाकर लाभ लेने के लिए लालायित दिखाई दिया। भोजन का संपूर्ण लाभ श्रीमती लीलाबेन शांतिलाल भंडारी परिवार ने लिया। 
मुमुक्षुओं ने सभी को संयम मार्ग पर चलने की प्रेरणा की
बहुमान कार्यक्रम का संचालन करते हुए जैन श्वेतांबर श्री संघ के उपाध्यक्ष यषवंत भंडारी ने दीक्षा का महत्व बताते हुए सभी दीक्षार्थियों को मंच पर आसीन करवाया। सर्वप्रथम आत्म उद्धार संयम यात्रा के प्रभारी एवं पारा जैन श्री संघ के अध्यक्ष मनोहरलाल छाजेड़ द्वारा संयम यात्रा के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया गया। साथ ही मुमुक्षुओं का परिचय अपने उद्बोधन में दिया। मुमुक्ष संयमभाई, हर्षिलभाई, जयनिषभाई, मानसीबेन एवं डिम्पल ने अपने उद्बोधन से उपस्थित समाजजनों को संयम मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।  साथ ही राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद् जयंतसेन सूरीष्वरजी मसा के पावन सानिध्य में 19 फरवरी को थराद नगर में संपन्न होने वाली भव्य सामूहिक आत्मो उद्धार दीक्षा समारोह में सभी से सपरिवार पधारकर उन्हें आर्षीवाद प्रदान करने की विनती की। मुमुक्ष केनवीबेन ने सुंदर संयम गीत ‘‘संयम मने लेणो है, संयम सबने लेणो है’’ की प्रस्तुति देकर सभी को भाव-विभोर कर दिया। 
उच्च षिक्षित होने के बाद भी अपनाया संयम मार्ग
19 फरवरी को दीक्षा ग्रहण करने वाले मुमुक्ष भाई-बहनों में अधिकतर उच्च षिक्षित है। कुलदीप गोस्वामी उम्र 24 वर्ष जो रतलाम से है, वह अन्य समाज से होने के बाद भी उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर संयम जैसे कठिनतम मार्ग पर अग्रसर होने का निर्णय लिया है। उन्होंने रतलाम में राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीष्वरजी मसा के चातुर्मास समारोह से निरंतर प्रेरणा लेने के बाद यह मार्ग अपनाया है। इसी प्रकार गुजरात के अहमदाबाद शहर से ऋषभभाई अड़ानी एवं ऋत्विकभाई अड़ानी, जो जुड़वा है एवं माता-पिता के इकलोते पुत्र है, वे भी संयम पथ की ओर अग्रसर हो रहे है। उन्हें दीक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा चन्द्रषेखर विजयजी मसा से मिली। इसी प्रकार नीमच निवासी प्रदीप बाफना को भी उच्च षिक्षित होने के बाद भी दीक्षा ग्रहण कर रहे है। इन सभी मुमुक्ष भाई-बहनों के शहर में एकसाथ प्रवेष पर झाबुआ शहर की धरा भी धन्य हुई।

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