अमित शर्मा
झाबुआ । त्रिदिवसीय पर्वाधिराज दीपावली को लेकर समग्र समाज में विधि विधान से कुबेरजी, महालक्ष्मी जी एवं लाभ पंचमी को लेकर शुभ मुहर्त में पूजन करने की पूरातन परंपरा चली आरही है । शास्त्रों में भी इन तीनों में पूजन का विषेष फलदायी वर्णन किया गया है । परमपूज्य ज्योतिष सम्राट जीवदया प्रेमी मुनिप्रवर ऋषभचन्द्र विजय जी मसा ने दीपावली एवं नूतनवर्ष के अवसर पर अपने सन्देष में कहा है कि धर्मषास्त्रों में कार्तिक प्रतिपदा नववर्ष के प्रारंभ का सूचक माना जाकर इस दिन जो प्रसन्न रहता है वो वर्षभर प्रसन्नता को प्राप्त करता हेै । महा पुरूषो के पुण्य प्रतीक भगवान महावीर का निर्वाण, भगवान श्रीराम के आयोध्या आगमन पर खुषियों के दीप जलाने का पर्व दीपोत्सव है । दीपोत्सव त्यौहार धनतेरस,कुुबेर एवं धनन्वतरी पूजन, रूप चैदस श्रृंगार एवं नववस्त्रों का परिधान एवं अमावस्या अंधकार से प्रकार की ओर ले जाने का पर्व है इस अवधि में लक्ष्मी सरस्वती की विषेष अनुकंपा का समय-पूजन, मंत्र जाप अभिष्ट फलदायी होते है । जैन श्रीसंघ के रिंकू रूनवाल ने पूजन मुहर्त के बारे में श्री ऋषभ बाबजी द्वारा दिये गये
मुहर्त की जानकारी देते हुए बताया कि 28 अक्तुबर शुक्रवार को धनतेरस एवं कुबर पूजन का मुहत प्रातः 7-56 बजे से 10-46 बजे तक गादी बिछाने का समय है । दोपहर 12-11 बजे से 1-35 तक तथा सायंकाल 5 बजे से 6 बजे तक तथा रात्रि 9 से 10-36 तक कुबेर पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा ।
दीपावली एवं शारदा चोपडा पूजन 30 अक्तुबर रविवार दीपावली के दिन करने का मुहर्त प्रातः 7.57 बजे से 9.21 बजे तक मषीनरी,बैंक,आफिस एवं वाहन पूजन, 9.21 बजे से 12.01 बजे तक षुभ लाभ का चोघडिया, 1.15 से 3.30 बजे तक ंकुभ लग्न, 6.45 सेष्8.40 तक वृषभ लग्न, 9 रात्रि से 10.30 रात्र तक चल चोघडिया एवं 1.15 से 3.22 रात्र में सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजन एवं चोपडा पूजन किया जाना चाहिये
वही 31 अक्तुबर को कार्तिक सुदी एकम सोमवार को प्रातः 6.33 से 7.57 तक, 9.22 से 10.46 तथा दोपहर 1.35 से 5.48 बजे तक दुकान खोलने का शुभ मुहर्त रहेगा ।
इसी तरह 5 नवम्बर लाभ पांचम को प्रातः 7.59 से 9.23 तक शुभ मुहर्त में पूजनादि करने का महुर्त बताया गया है । श्री ऋषभ बाबजी ने धनतेरस एंव दीपावली के विधि विधान से जाप के साथ पूजन करने से अभिष्ट प्राप्ति के योग बताये है । यदि इन शुभ मुहर्त में वर्णित अनष्ठान कियेजावे तो निष्चित ही लक्ष्मी एवं सरस्वती माता की कृपा इस पूरे वर्ष बरसेगी ।