"अखिल भारतीय कवि सम्मेलन" ने श्रोताओं को बांधे रखा, गुलाबी ठंड में भोर तक बही साहित्य सुरभि

JHABUA ABHITAK


अमित शर्मा 
झाबुआ । नगरपालिका परिषद झाबुआ के तत्वावधान में मंगलवार की रात को  राजगढ़ नाका स्थित गरबा ग्राउण्ड पर विराट अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का अनुठा आयोजन किया गया। इस अवसर पर नगरपालिका परिषद द्वारा अंचल के साहित्य सृजनकर्ताओं का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। इस अवसर पर परिषद द्वारा सम्मानित किए गए साहित्यकारों में पं. गणेा उपाध्याय, डाॅ. के. के. त्रिवेदी, वीरेन्द्र मोदी, डाॅ. जय बैरागी, डाॅ. रामांकर चंचल, शरत शास्त्री, बाबु भाई कव्वाल, मांगीलाल सोलंकी, गौरीांकर दुबे, मनोज जैन, राजेन्द्र सोनी जैसे वरिष्ठ हस्ताक्षरो के साथ ही उभरते हुए साहित्य साधक  कुलदीप पंवार , भारती सोनी, स्मृति आचार्य, आयाा कुर्रेाी, प्रवीण सोनी, सुश्री कीर्ति देवल एवं ाीला सिसोदिया भी सम्मिलित थे।  वर्तमान परिषद द्वारा नगर विकास के लिए किए गए ऐतिहासिक कार्यो को ध्यान मे रखकर राजगढ़ नाका मित्र मण्डल द्वारा नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया, एव  परिषद के सभी वार्ड पार्षद एवं एल्डरमेन का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। 

कवि सम्मेलन के सूत्रधार हास्य रस के सुप्रसिद्ध कवि संदीप शर्मा ने  कवि सम्मेलन का आगाज  दिल्ली से पधारी कवियित्री श्रीमती समीक्षासिंह जादौन के सरस्वती वंदना से करवाते हुए कहा कि मुस्कराती जिंदगानी चाहिये, खुन मे ऐसी रवानी चाहिये, सारी दुनिया हो सकती है अपनी,
स्थानीय कवि एवं ख्याति प्राप्त कवि हिमांशु भावसार ने अपनी रचना बेटिया हामरा देती ाुभ कर्मफल, बेटियों को ऐसे न कोख मे मिटाईये को काफी  दाद मिली । हास्य एवं व्यग के कवि मुंलेगी से पधारे पंकज फनकार ने अपनी रचना ’ मोबाईल जब से प्यार का माई बाप हो गया, प्यार-प्यार न रहा एक पाप हो गया ने काफी गुदगुदाया वही उनकी रचना ’’ कौन है भगवान नही जानता पंकज, पर मां बाप को कभी सताया नही’’ से पूरा पाण्डाल तालियों की गडगडाहट से आच्छादित हो गया 

महेवर से पधारे वीर रस के कवि नरेन्द्र अटल ने अपने अंदाज में  कही कविता वीर शिवा और राणा की जवानी याद आयेगी, युद्ध में कुद पडी झासी की रानी याद आयेगी तथा सच सरे आम कहने की आदत न गई इसीलिये काले बादलों में बगावत हो गई को काफी पसंद किया गया । 
जोबट के पैरोडी कार फिरोज सागर ने अपनी पैरोडियो ं से खुब गुदगुदाया उनकी पैरोडी ’’ देश को जिसने किया चकाचक,सबकों छोड कमान, ऐसा झटका दिया विपक्ष को जनम जनम न भुलाय देखो चाय बेचने वाला, बन गया भारत का रखवाला एवं अन्य पैरोडी  खुब पसंद किया गया और हास्य का माहेौल पैदा हो गया ।
दिल्ली से पधारी समीक्षा जादौन ने अपने बेहतरीन शेर एवं गजलों से श्रोताओं को काफी गुदगुदाया  उनकी रचना टूट कर तेरी मुहब्बत में संभल सकती हूं, जि पर आ जाउं तो सागर भी निगल सकती हूं । उनकी रचना  मारे चर्चे जमाने भर में कुछ इस तरह माहूर होगें , कभी दुबारा जहां मे आज हमारे किस्से जवां मिलेगें तथा घर मे रांगोली, राखी का त्यौहार बेटिया, है र्द का सागर तो कभी नदियों की धारा है बेटिया’’ को काफी पसंद किया गया । सूत्रधार ंसंदीप शर्मा की मां पर रचना बहुत रोते है पर दामन हमारा नम नही होता, इन आंखों के बसरने का कोई मौसम नही होता, मै अपने दुमनों के बीच महफुज रहता हूं, मां की दुआओं का असर कभी कम नही होता पर काफी तालियां बजी । उनकी हास्य रचना हम उसके प्यार में सितारों की चादर तानते रह गये, वो रामलाल के साथ भाग गई हम चाय छानते रह गये  । को भी लोगों ने खुब सराहा । 
खरगौन से पधारे विवख्याति प्राप्त कवि प्रो.शूभूसिंह मनहर ने अपनी वीर रस की रचना  ’’ अंधेरे  हाथ मे लेकर  दीये हर सांझ मिलते है, जहां पर पांव पडता है वही पर फुल खिलते है, दिया आाीष मैया ने हथेली पर ािा रख कर के, अगर लौटू तो  घर तिरंगे मे लिपट कर लौटूं...... ।  कभी बंाी बजा कर देखना सब जान जाओगें, तिलक माथे पे लगा कर देखना सब जान जाओगे, बडा सीधा सरल है देा मेरा जानना है तो  कभी गंगा नहा कर देखना सब जान जाओगें । को  खुब पसंद किया गया । कवि सम्मेलन के अन्तिम कवि के रूप मे अलवर राजस्थान से पधारे वीर रस के विवख्याति प्राप्त कवि विनीत चैहान ने अपनी एक से बढ कर एक काव्य रचनाओं से श्रोताओ को रात्री 3 बजे तक बांधा रखा उनकी रचना ’ जितनी भारी लगती है ये शेष नाग को धरती, उतनी भारी लगी पिता को खुद के बेटे की अर्थी ’’ ने तो पूरे सदन को तालियों से सराबोर कर दिया । उनकी रचना यु तो तुम्हारे ईक पर जान भी कुर्बान है, मांगले वतन तो अपना ईक भी कुर्बान है को काफी पसंद किया गया ।
अल सुबह तक चले इस कार्यक्रम में-- थांदला विधायक कलसिंह भाबोर, मेघनगर जनपद उपाध्यक्ष नरवरसिंह हाडा, भाजपा मण्डल मेघनगर अध्यक्ष मुकेा मेहता, नगर मण्डल  झाबुआ अध्यक्ष बबलु सकलेचा, भाजपा अल्प संख्यक मोर्चा के अध्यक्ष इरशाद कुरेशि सहित अनेक गणमान्य लोग अंत तक उपस्थित रहे। 

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