अमित शर्मा [झाबुआ अभीतक]
झाबुआ - भारत में नषा एक देषव्यापी समस्या बनता जा रहा है। नषा उपयोगकर्ता के ही नहीं समीप रहने वाले का भी नुकसान करता है। नषें के कारण षारीरिक, मानसिक और आदतन कई दुष्परिणाम होते है। नषें की वृत्ति का लगातार बढ़ना चिंताजनक है। तम्बाकू युक्त पदार्थो से सिर से लेकर पैर तक के अनगिनत बिमारियाॅ हो रही है। भारत में तम्बाकू की वजह से हर रोज 2500 लोग तो हर साल 10 लाख लोग असमय मर जाते है। भारत में केंसर और फेफडे़ के रोगों अत्याधिक बढ़ना द्यातक चैंकाने वाला है। नषें की रोकथाम के लिए कई कानून बने है आवष्यकता है नषे के दुष्परिणामों के साथ ही नषा रोकथाम के कानूनों का व्यापक प्रचार प्रसार हो तथा उनका क्रियान्वयन सुनिष्चित हो सके। कोटपा अधिनियम 2003 नषे के विस्तार रोकने और नियत्रंण करने में महत्वपूर्ण है। गरीब, मजदूरों में पाउच, बीड़ी और सिगरेट के साथ ही षराब का बढ़ता प्रचलन इनकी परेषानियों को और बढ़ा सकता है। भोज षोध संस्थान ने अम्बुजा ऐज्यूकेषन सोसायटी के सहयोग से जिला स्तरीय तम्बाकू मुक्त विद्यालय प्रकल्प आदिवासी बाहुल्य और पिछड़े माने जाने वाले झाबुआ जिले में आरंभ किया है। उन्नतिप्रिय समाज और बुद्धिजीवी वर्ग ने इस प्रकल्प का स्वागत किया है और सहयोग का विष्वास व्यक्त किया है। जो स्वागत योग्य है। मीडिया कार्यषाला को विषेषरुप से भोज षोध संस्थान के निदेषक और सामाजिक कार्यकर्ता डाॅ दीपेन्द्र षर्मा ने संबोधित किया।
चित्र प्रदर्षनी - कार्यषाला सभाकक्ष में तम्बाकू के दुष्परिणामों को व्यक्त करती तथा तम्बाकू छोड़ने के उपायों को चित्र और सरल भाषा में दर्षाती एक चित्र प्रदर्षनी का लोकार्पण और प्रदर्षन किया गया। यह प्रदर्षनी सलाम मुबई फांउडेषन के सहयोग से निर्मित है।
पत्रकार संवाद - एक दिवसीय कार्यषाला में उपस्थित पत्रकारों ने तम्बाकू मुक्त विद्यालय प्रकल्प को जाना और अपने सुझाओं से इसे क्षेत्र में और प्रभावी बनाने के लिए पहल की। पत्रकारों ने सुझाव दिये कि तम्बाकू और नषें के दुष्परिणामों को क्षेत्रीय भाषा में सुनाया जाये। बाजार के दिन ग्रामीणों और आम नागरिकों को भी तम्बाकू और अन्य नषीले पदार्थो के नुकसानों से अवगत करवाये जाये। गरीब मजदूरों और किसानों को नषें और तम्बाकू खासकर पारुच से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाये। नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से अपनढ़ और ग्रामीणों को नषें से दूर रहने की समझाइष दी जाये। क्षेत्र में नकली और उपयोगी तिथि के पष्चात भी बिकने वाले पदार्थो के विक्रय पर अविलंब कार्यवाही हो। स्थानीय तम्बाकू नियंत्रण समिति को सक्रिय किया जाये। क्षेत्रीय बोली में स्वच्छता गीत के समान ही नषा विरोधी गीत सुनाये जाये। विद्यालयोें की बाल सभा में नषे मुक्ति संबंधी आयोजन सुनिष्चित हो। लघु फिल्म के माध्यम से तम्बाकू और नषें के बुरे प्रभावों के साथ ही नषा छोड़ने में सफल व्यक्तियों की कहानियों का सार्वजनिक प्रदर्षन हो।
मीडिया कार्यषाला का संचालन कार्यक्रम अधिकारी प्रराग भोंसले ने किया। कार्यषाला की प्रस्तावना और झाबुआ जिले की तम्बाकू मुक्त विद्यालय प्रकल्प की गतिविधियों का विवरण झाबुआ के कार्यक्रम अधिकारी आदर्ष चैहान ने प्रदान की। यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता रणजीत कुमार ने दी