अमित शर्मा
झाबुआ-झाबुआ जैसे आदिवासी अंचल में तीन नगरपंचायत पेटलावद , थांदला , ओर रानापुर तथा झाबुआ एक नगरपालिका परिषद् झाबुआ के स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर जहां अध्यक्ष पदों पर पूर्व में ही आरक्षण व्यवस्था घोषित हो गयी थी ओर हाल ही मे जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा तीनो नगरपंचायत एवं एक नगरपालिका के अंतर्गत आनेवाले 63 वार्डो का वार्ड आरक्षण होने के बाद चुनाव लडने की मंशा स्थिति साफ हो गयी है। उक्त स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा एवं कांग्रेस द्वारा आगामी चुनावो को लेकर अपनी अपनी रणनीति बनाने एवं भावी प्रत्याशीयों की खोज का काम चालु कर दिया है। दोनो ही प्रमुख राजनीतिक दल चुनावी रणनीति बनाने में मशगुल नजर आने लगे है। उक्त स्थानीय निर्वाचन को लेकर जहां प्रदेश निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व मे ही अध्यक्ष पदो पर आरक्षण की घोषणा कर दी गई थी तो वहां स्थानीय जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा हाल ही में तीन नगरपंचायत एवं क नगरपालिका के कुल 63 वार्डो का भी आरक्षण कर दिया गया है। आरक्षण की स्थिति साफ होने के बाद दोनो राजनेतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस में अध्यक्ष से लगाकर पार्षद पदो के लिये कई दावेदार अपनी ताल टोकते हुए नजर आ रहे है तो वही प्रमुख राजनैतिक दल के रुप में भाजपा एवं कांग्रेस रुको देखो ओर आगे बढो की नीति पर चलती हुई नजर आ रही है।
झाबुआ जिले की दो नगर पंचायत पेटलावद ओर थांदला तथा एक नगरपालिका परिषद झाबुआ में भाजपा का पूर्ण बहुमत होकर भाजपा का कब्जा है। तो वही रानापुर नगर पंचायत मे अध्यक्ष पद पर कांग्रेस ओर 15 मे से 10 पार्षद एवं उपाध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा है। कुल मिलाकर स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर दोनो ही राजनैतिक दलो ने राजनैतिक शंतरज की चौसठ पर अपनी गोठे बिठाने की कार्यवाही चालु कर दी है।
भाजपा सुत्रो से छनकर खबर आ रही है कि वो दिल्ली की तर्ज पर जिले के चार स्थानो पर होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों में अध्यक्ष से लगाकर पार्षद पदो पर फ्रेश चेहरो के साथ जितने वाले उम्मीदवारो की खोजबीन कर उन्हे जनता के सामने उतारने की रणनीति पर आगे बढती हुई नजर आ रही है। तो वही कांग्रेस भी इस बार अध्यक्ष एवं पार्षद पदो पर नये चेहरे उतारने की रणनीति पर आगे बढ रही है। कुल मिलाकर नये चेहरे के साथ साथ दोनो दलो मे कुछ पुराने चेहरे भी पुनः अपना भाग्य अजमाने के लिये अपने अपने आकाओ पर राजनैतिक दबाव ओर प्रभाव डालने का जतन करते हुए नजर आ रहे है। देखना यह है कि पुराने चेहरो के दबाव में वर्तमान संगठन या दोनो राजनैतिक दल आते है कि नही।
जन चर्चा अनुसार जनता में आगामी स्थानीय चुनावो को लेकर जो चर्चा व्याप्त है वह भी चौकाने वाली है जनता पुराने घिसे पीटे चेहरो से त्रस्त होकर उनके विरोध में मुखर होकर अपनी बात जन चौपालो पर करती हुई नजर आती है। भाजपा जहां विकास को मुददे को लेकर जनता के बीच जाने का मानस बना रही है तो कांग्रेस वर्तमान परिषदो में हुई अनियमितता व मुददो को लेकर जनता को बरगलाती नजर आ रही है।
कुल मिलाकर प्रदेश स्थानीय निकाय निर्वाचन अधिकारी प्रदेश द्वारा स्थानीय निकाय निर्वाचन के अधिकृत घोषणा अभी नही की गई है पर राजनैतिक गलियारो मे चर्चा हैकि 18 से 20 मई तक इस प्रकार की घोषणा प्रदेश सरकार व निर्वाचन अधिकारी कर सकते है जुन माह में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावो को लेकर जिले का राजनैतिक तापमान बढा हुआ नजर आ रहा है।